Mahamana Madan Mohan Malaviya

Mahamana Madan Mohan Malaviya

महामना पं. मदन मोहन मालवीय को प्रदत्त भारत रत्न अलंकरण

 

लखनऊ। महामना पं. मदन मोहन मालवीय को प्रदत्त भारत रत्न अलंकरण का आज यहां भव्य समारोह में शंखध्वनि, मंगलाचरण तथा पुष्पवर्षा से स्वागत तथा सम्मान किया गया।महामना मालवीय मिशन लखनऊ द्वारा आज 24 मई को विश्वेश्वरैया प्रेक्षागृह में आयोजित महामना भारत रत्न सम्मान समारोह में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक, भारत के गृहमंत्री राजनाथ सिंह, काशी हिन्दू वि.वि. के कुलपति प्रो जी.सी. त्रिपाठी, महापौर डा. दिनेश शर्मा एवं वरिष्ठ नेता लाल जी टंडन उपस्थित थे।

 

काशी हिन्दू वि.वि. के कुलपति प्रो जी.सी. त्रिपाठी महामना मालवीय जी को प्रदान किये गये भारत रत्न अलंकरण को अपने साथ लेकर आये थे, जिसका स्वागत समिति के सदस्यों और उपस्थित अन्य गणमान्य जनों द्वारा स्वागत किया गया।

 

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक ने कहा कि काशी हिंदू में पढ़ने का अवसर न मिलने की पीड़ा मुझे आज भी है। काशी हिन्दू वि.वि. की विश्वव्यापी प्रतिष्ठा है। मालवीय जी व्यक्ति का समग्र विकास चाहते थे। इसीलिए वे शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य को भी आवश्यक मानते थे। वे सभी विद्यार्थियों को इसके लिए प्रेरित करते थे। काशी हिन्दू वि.वि के चार लोगों को उनसे पहले भारत रत्न मिला- डा. भगवान दास, डा. राधाकृष्णन, प्रो. सी.एन. राव एवं । यह मालवीय जी का ही प्रताप है।

 

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि लोकसभा के चुनाव के समय ही भाजपा में शीर्ष स्तर पर यह तय हुआ था कि अपनी सरकार बनी तो महामना और अटल जी को भारत रत्न दिया जाएगा। मालवीय जी और अटल जी ने जिन जीवन मूल्यों को जिया यह उनका सम्मान है। महामना होने के भाव को अटल जी ने भी समझा था। छोटे मन का व्यक्ति कभी आध्यात्मिक नहीं हो सकता। महामना ही उदार होता है। महामना भारत में प्राचीन चिंतन और आधुनिक विज्ञान के बीच समन्वय चाहते थे। मालवीय जी ने बाई इंडियन का  नारा दिया था। प्रधानमंत्री उस भावना से प्रेरित होकर मेक इन इंडिया अभियान चला रहे हैं।

 

प्रो त्रिपाठी ने कहा कि मालवीय जी को भारत रत्न मिलने से इस सम्मान का गौरव बढ़ा है। 19 वीं शताब्दी के छठे दशक में गांधी, स्वामी विवेकानन्द, और महामना मालवीय जी इन तीनों का प्रादुर्भाव हुआ।  तीनों ने विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाई। भारत की आध्यात्मिक शक्ति को जगाया।

मिशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभु नारायण श्रीवास्तव ने मिशन की गतिविधियों पर प्रकाश डाला और बताया कि दिसम्बर 2016 में दिल्ली में काशी हिन्दू वि.वि. के पूर्व छात्रों का एक अंतर्राष्ट्रीय समारोह आयोजित किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि इस अन्तर्राष्ट्रीय समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पधारने का अनुरोध किया जाएगा। काशी हिन्दू वि.वि. की शताब्दी के अवसर पर 2016 में अन्य अनेक कार्यक्रम भी देश भर में आयोजित किये जायेंगे। प्रभु जी ने कहा कि महामना राजनीतिक विविधता के बावजूद सबके लिए सम्मानित थे। उनमें दूरदृष्टि लोक जागरण की ऊर्जा संपादक जैसे अनेक गुण थे। वे बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। राजनीतिक विचार के बावजूद उनका आधार आध्यात्मिक था। सामाजिक समरसता के लिए वे समर्पित थे। 

 

प्रारम्भ में लालजी टंडन ने स्वागत भाषण दिया और महामना के महान व्यक्तित्व, स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका और काशी हिन्दू वि.वि. की स्थापना पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि परतंत्रता के समय ही भारतीय जनमानस में गांधी जी को महात्मा, तिलक को लोकमान्य, मालवीय जी को महामना की उपाधि मिल चुकी थी। आज महामना को भारतरत्न देकर सरकार ने साबित किया कि वह रत्नों की पारखी है। महामना के कार्यों की श्रृंखला बहुत लम्बी है। उसका पूरा मूल्यांकन करना अभी बाकी है।

 

भारत रत्न अलंकरण का स्वागत करने के लिए पूर्व सांसद लालजी टंडन की अध्यक्षता में 45 प्रतिष्ठित जनों की एक समिति का गठन किया गया था, जो जीवन के अनेक क्षेत्रों जैसे न्यायपालिका, शिक्षा, प्रशासन, चिकित्सा, अभियांत्रिकी, समाजसेवा, उद्योग आदि से सम्बंधित हैं।

 

समारोह का संचालन मिशन के महासचिव गोविंद राम अग्रवाल द्वारा किया गया और धन्यवाद ज्ञापन समारोह के संयोजक विष्णु कुमार गुप्त ने किया। कुलगीत और श्रृद्धांजलि गीत महामना मालवीय विद्या मंदिर के आचार्यों द्वारा प्रस्तुत किया गया। 

समारोह में बड़ी संख्या में गणमान्य जन शामिल हुए जिनमें मिशन के राष्ट्रीय महासचिव हरीशंकर सिंह, महामना की पौत्रवधू, आर.एन. वर्मा, राजेन्द्र प्रसाद, डा. अभिनन्दन स्वरूप, आशुतोष कुमार, डी.एन. श्रीवास्तव, श्रीमती सीमा यादव, बी.एन. सिंह, डा. सायूष नारायण, एवं डा. दिलीप अग्निहोत्री भी उपस्थित थे।

 

 

गोविन्द राम अग्रवाल

महासचिव,

महामना मालवीय मिशन, लखनऊ

मो. 9450661587

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